सम्पादकीय
इस अंक की सम्पादकीय में बहुत कुछ लिखा जा सकता था। लेकिन। मुझे लगा कि तमाम आशाजनक और निराशाजनक बातो का बखान न करके हम 5 अगस्त के मुजफ्फरनगर की महान, विराट किसान महा पंचायत की तस्वीरों को ही आपके सामने रखने का काम करें। यह तस्वीरे उस आंदोलन की झलकिया दिखाती हैं। यह आंदोलन उन तीन काले कानूनों के विरुद्ध हैं जो उदारवादी नीतियों का परिणाम हैं। यह आंदोलन मजदूरों की मांगो को उठा रहा है। यह आंदोलन महिला किसानों को सार्वजनिक क्षेत्र में जगह देकर उनकी मांगों का समर्थन करता है। यह आंदोलन साम्प्रदायिकता के खिलाफ डटकर खड़ा है। और इस आंदोलन ने स्पष्ट शब्दों में समस्त जनता के सबसे बड़े दुश्मन, संघ परिवार, का विरोध करने का फैसला लिया है। अगले साल उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से भाजपा की सरकारों को उखाड़ फ्रंकने का फैसला भी इसी किसान आंदोलन ने लिया है।
तो आइए बहनो, हम सब मिलकर इस महान किसान आंदोलन की जय जयकार करें, उसके सन्देश और उसकी ताकत का हैम प्रचार प्रसार करें और उसे जीत की ओर ले जाने में हम भी अपनी पूरी ताकत लगाएं। उनकी जीत हमारी जीत है!
सुभाषिनी अली